हड्डियों या जोड़ों से जुड़ी इस तरह की समस्याएं आम है इससे राहत ऐसे पाए।
अकड़ते घुटने, दुखते कूल्हे और सूजे हुए हाथ ? यदि आपकी उम्र 40 से ऊपर है, तो हड्डियों या जोड़ों से जुड़ी इस तरह की समस्याएं आम हैं। इसे पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतों में सुधार करके और सही जीवनशैली आजमा कर, सेहतमंद जिंदगी जीने की उम्मीद तो कर ही सकते हैं। आपकी वो कौन-सी आदतें जोड़ों पर पड़ती हैं भारी और इसके लिए क्या करें।
नियमित रूप से व्यायाम भी कर रहे हैं।
सही आहार भी ले रहे हैं। पानी भी खूब पी रहे हैं। दिनचर्या की सारी आदतें अच्छी हैं, तो फिर जोड़ों में दर्द क्यों? जब सब कुछ सही है, तो गड़बड़ कहां हो रही है? आपका भी यह सोचना हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो कई बार हमारी कुछ अच्छी आदतें भी हड्डियों के लिए समस्या पैदा कर देती हैं। सिर्फ इसलिए कि हमें उसकी सही जानकारी नहीं होती, जैसे कि खूब पानी पीना।
बेशक आपकी नजर में यह अच्छी आदत है, लेकिन इसकी अति भी कुछ लोगों में जोड़ों में दर्द की वजह बन सकता है। खासकर अगर आप उम्र के पचासवें दशक में पहुंचने वाले हैं, तो हड्डियों की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले अपनी कुछ अच्छी आदतों पर जरूर गौर करना चाहिए। क्या पता, उससे ही आपको नुकसान हो रहा हो।
मायो क्लिनिक हेल्थ की ऑर्थोपेडिक सर्जन टीना ड्रेगर का कहना है कि 30 की उम्र तक हड्डियों का निर्माण जारी रहता है, लेकिन 40 की आयु से हड्डियों की रीमॉडलिंग प्रक्रिया में बदलाव के कारण हड्डियों का घनत्व धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए कोई भी नई आदत अपनाने से पहले समझना चाहिए कि कहीं उसका गलत तरीका या उसकी अधिकता आपको खतरे में तो नहीं डाल रही।
बिना सलाह के सप्लीमेंट लेना
आजकल अपनी हड्डियों की सुरक्षा के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट लेना बहुत आम हो चुका है। बिना डॉक्टर की सलाह के ही लोग चालीस की उम्र में बाद कैल्शियम की गोली लेने लगते हैं। पर, शायद उन्हें नहीं पता कि कैल्शियम का अत्यधिक सेवन भी उनके शरीर और जोड़ों के लिए सामान्य रूप से अच्छा नहीं है। आहार विशेषज्ञ अलका श्रीवास्तव का कहना है कि कैल्शियम अगर शरीर में जज्ब न हो, तो यह जोड़ों में एकत्रित होना शुरू हो जाता है।
ऐसे में आपको जोड़ों में दर्द रहने लगेगा और आप हाथ-पैर चलाने से भी लाचार हो सकते हैं। अपनी हड्डियों को खराब होने से बचाने के लिए आपको ज्यादा कैल्शियम खाने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय आप संतुलित आहार लें, जिसमें कैल्शियम के अलावा अन्य खनिजों की भी अच्छी मात्रा मौजूद हो। जब भी संभव हो, पूरक आहार के बजाय भोजन के माध्यम से ही कैल्शियम लेने का प्रयास करें। यहां सबसे जरूरी चीजों में से एक है विटामिन डी और के2 के साथ कैल्शियम लेना, क्योंकि यह इसके अवशोषण में मदद करता है। तो अगर आपको सप्लीमेंट लेना ही है, तो इस बारे में पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
जरूरत से ज्यादा स्ट्रेचिंग करना
स्ट्रेचिंग मांसपेशियों के लिए अच्छी होती है, क्योंकि यह शरीर को लचीला बनाती है। लेकिन यह कितनी करनी चाहिए और सही तरीका क्या होना चाहिए, इन बातों का भी ख्याल रखना होगा। योग गुरु दीप्ती भूषण कहती हैं कि स्ट्रेचिंग करते समय अपने शरीर की क्षमता को पहचानना जरूरी है। अगर शरीर में कंपन आने लगे, तो इसे रोक देना चाहिए।
जरूरत से ज्यादा स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों और जोड़ों को नुकसान हो सकता है। साथ ही आपको आहार का ख्याल रखना चाहिए। आहार में प्रोटीन की कमी होने से आप ज्यादा देर स्ट्रेचिंग नहीं कर सकते और शाकाहारियों को इस बात का विशेष ख्याल रखना होता है। हां, स्ट्रेच को सही तरीके से कैसे किया जाए, इस पर विशेषज्ञ की सलाह लें।
कार्डियो अभ्यास भी संभल के
‘कोई दर्द नहीं, तो कोई लाभ नही’, यह एक आम कहावत है, जिसका इस्तेमाल कई लोग जिम या मैदान में खुद को प्रेरित करने के लिए करते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि शारीरिक सीमाओं का ध्यान रखे बिना जरूरत से ज्यादा व्यायाम करना शरीर और जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। और अगर आपकी उम्र चालीस से ऊपर है, तो आपको और भी सतर्क रहने की जरूरत है। जिम जाते ही आपको सबसे पहले कार्डियो ट्रेनिंग दी जाती है।
शुरू में कम समय तक इसे करने को कहा जाता है और फिर धीरे-धीरे समय के साथ कार्डियो अभ्यास की अवधि को बढ़ाना शुरू कर दिया जाता है। यह ह्रदय की सेहत के लिए अच्छा है। लेकिन आपको इसके साथ अपने शरीर की स्थिति को समझना होगा, क्योंकि बहुत अधिक कार्डियो से आपके जोड़ों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है, जो चोट और दर्द का कारण बन सकता है।
विशेष रूप से उच्च प्रभाव वाले व्यायाम घुटने के जोड़ों में कार्टिलेज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए शरीर को समझते हुए धैर्य के साथ कार्डियो आपको फायदा दे सकता है, लेकिन इसको शुरू करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक या विशेषज्ञ से सलाह लें।
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