रणबीर कपूर अपने करियर में आए उतार-चढ़ाव को लेकर क्या कुछ कहा, आइए जानें।

रणबीर कपूर अपने करियर में आए उतार-चढ़ाव को लेकर क्या कुछ कहा, आइए जानें।

रणबीर कपूर को भले ही फिल्म इंडस्ट्री में कपूर खानदान से होने की वजह से आसानी से काम मिला हो और उनकी कुछ शुरुआती फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल ना कर पाई हों। लेकिन यहां पर बने रहने के लिए उन्होंने भी खूब मेहनत की है और अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। अपनी निजी जिंदगी को लेकर अकसर सुर्खियों में रहने वाले रणबीर ने अपने करियर में आए उतार-चढ़ाव को लेकर क्या कुछ कहा, आइए जानें।

एक तरफ जहां ‘बर्फी’ और ‘वेकअप सिड’ जैसी फिल्मों में रणबीर कपूर के अभिनय की तारीफ हुई और रातोरात वह कई लड़कियों के हीरो बन गए थे, वहीं उनके घर पर एक अलग ही कहानी चल रही थी, जिसकी वजह से वह खुलकर अपनी सुपरहिट फिल्मों का जश्न भी नहीं मना पाए।

हाल ही में अपने पिता और दादाजी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब मैंने फिल्मों में काम करना शुरू किया और मेरी फिल्में लोगों को पसंद आने लगीं, तो पापा (ऋषि कपूर) मुझसे बिल्कुल भी खुश नहीं थे। उन्हें न तो वो फिल्में पसंद आती थीं और न उनमें निभाया हुआ मेरा किरदार।

जब भी वो मेरे पास बैठते, हमेशा मुझसे कहते थे कि ये तुम किस तरह की फिल्में कर रहे हो ? क्या तुम्हें अंदाजा भी है कि किस तरह की फिल्में करने से आपकी छवि बनती है। उस वक्त बाहर भी कई बातें चल रही थीं, जैसे कि मुझे इंडस्ट्री में काम कपूर खानदान के बेटे होने के चलते मिल रहा है या हीरोइनों के साथ बढ़ती नजदीकियों की वजह से ही मैं खबरों में रहता हूं वगैरह।’

पापा की ये बातें रणबीर को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थीं। इसलिए वो खुद को साबित करने में लगे रहे। बकौल रणबीर,‘पापा उस वक्त मेरी चॉइस के बिल्कुल खिलाफ थे। लेकिन मुझे अपनी फिल्मों पर भरोसा था। इसलिए मैंने सभी की बात को अनदेखा कर अपने काम पर फोकस किया।’

रंग लाई मेहनत

रॉक स्टार, बर्फी, एनिमल, तू झूठी मैं मक्कार, ये जवानी है दीवानी जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभा कर रणबीर कपूर ने आज बॉलीवुड में अपनी एक मजबूत पहचान बना ली है। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उनको संघर्ष भी कम नहीं करने पड़े हैं। इस बारे में वह कहते हैं,‘हां, मैं इस मामले में भाग्यशाली रहा कि मुझे आसानी से पहली फिल्म मिली। लेकिन उसके बाद मैंने जाना कि अब अगर यहां पर मेरी दाल नहीं गली, तो मेरा कुछ नहीं होगा। पापा वैसे भी मेरी पसंद के खिलाफ थे।

वह चाहते थे कि मैं कमर्शियल फिल्में करूं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मुझे देख पाएं। इसलिए मुझे कुछ भी करके अपनी जगह बनानी थी। उस वक्त जब भी मैं शूट करता था, तो अपना 100 नहीं, 200 प्रतिशत देता था, क्योंकि मुझे पता था कि मेरी तारीफ करने वाले कम और आलोचना करने वाले ज्यादा हैं। मुझे पता था कि यहां नहीं तो कहीं नहीं। इसलिए मैंने खुद को निखारने और अच्छा काम करने की पूरी कोशिश की। कभी-कभी बड़े नाम के साथ काम शुरू करना मुश्किल होता है।

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