रिश्तों से जुड़ी हर किसी के पास कोई न कोई उलझन होती ही है अपने रिश्तों को ऐसे बेहतर बनाएं।
बातें पति-पत्नी के रिश्ते की हों या फिर अन्य रिश्तों की। रिश्तों से जुड़ी हर किसी के पास कोई न कोई उलझन होती ही है। आपके ऐसे ही सवालों के जवाब कॉमेंट सेक्सन से लिया गया है यह सवाल के बारे में यह पोस्ट लिखा गया है। इसे आवश्य पढ़ें।
सवाल मेरी शादी को पंद्रह साल हो चुके हैं। मेरी पत्नी एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है, जिस वजह से वो अकसर देर रात ऑफिस से घर आती है। असल में मेरी पत्नी बहुत सुंदर है, इस वजह से मैं उसको लेकर हमेशा ओवर प्रोटैक्टिव रहता हूं। जब भी वह बाहर जाती है या किसी और से मिलती है, तो मुझे अजीब-अजीब से ख्याल आते हैं, जैसे वह किसी और से दोस्ती न कर ले या वह मुझे धोखा तो नहीं दे देगी। इस सोच से मैं कैसे खुद को बाहर निकालूं ?
जवाब देखिए, जब पति-पत्नी 10-12 घंटे एक-दूसरे से दूर रहते हैं, अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं, तब कई बार जोड़ों के बीच ऐसी शंकाएं पैदा हो जाती हैं। खासकर, जब हमें लगता है कि हमारा साथी हमसे ज्यादा स्मार्ट और सुंदर है, तो यह डर हम पर और ज्यादा हावी हो जाता है। कई बार हमारे अंदर उन्हें सुरक्षित रखने की भी एक इच्छा जागती है, ताकि और लोग उसका फायदा ना उठा सके या उसके करीब ना चले जाए या वह कहीं बहक ना जाए।
इसकी वजह यह भी हो सकती कि अतीत में आपको किसी ने धोखा दिया हो या आपने अपने आसपास के किसी करीबी लोग के साथ धोखा होता हुआ देखा हो या आपने कुछ ऐसा कंटेंट देखा हो, उपन्यास पढ़ी हो या ऐसी फिल्में देखी हों, जिसकी वजह से आपकी विचारधारा ऐसी बन गई हो। इस वजह से आप सामने वाले पर भरोसा नहीं कर पा रहे हों। इसकी वजह कई बार हमारी खुद की असुरक्षा भी हो सकती है, जब हम अपने आप को दूसरे से कम आंकने लगते हैं या हमें लगता है कि दूसरा इंसान हमसे बेहतर है या हमसे बेहतर योग्य साथी पाने का वो हकदार है, तो इस कारण से भी आत्म-सम्मान डगमगाने लगता है।
हमें दूसरे पर शक होना लगता है। हम डर जाते हैं कि यह हमें छोड़कर जा सकता है या हम से चीट कर सकता है। अगर इसमें से कोई कारण आपके साथ है, तो पहले खुद पर काम करें। अपनी सोच पर काम करें। अपने डर को, अपने शक को चुनौती दें। साथ ही अपनी पत्नी की पर्सनैलिटी को भी समझने की कोशिश करें। अगर उसने आज तक आपको कोई ऐसा मौका नहीं दिया है, अपनी सारी जिम्मेदारी या कर्तव्य ठीक से निभाती हैं, तो हो सकता है कि आपकी शंका बेवजह हो। इसलिए आप अपनी पत्नी से इस बारे में खुलकर बात करें। एक स्वस्थ्य बातचीत शुरू करें, उन्हें दोषी ठहराए बिना।
उन्हें यह बताएं कि यह आपकी समस्या है और इससे बाहर निकलने में आप उनकी मदद चाह रहे हैं। जब आपकी पत्नी यह समझेंगी कि आप किस दौर से गुजर रहे हैं और यह आपका डर है, जिसमें आप उनका सहयोग चाह रहे हैं, तो वह आपकी मदद करेंगी आपको सही कदम उठाने में। इसके लिए बहुत जरूरी है कि आप दोनों क्वालिटी टाइम साथ में बिताएं।
शाम को चाय पर या रात को डिनर पर या रात में वॉक ले सकते हैं, जिसमें सिर्फ आप दोनों हों। इसमें आप अपने दिन की पूरी बातें साझा कर सकते हैं कि आज ऑफिस में क्या हुआ, क्या-क्या चुनौतियां आईं, क्या-क्या अच्छी चीजें हुइं। इससे आप दोनों एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। इस चीज पर आपको बहुत जल्द काम करना जरूरी है, क्योंकि भरोसा हर रिश्ते की नींव होती है। शक एक ऐसी चीज है, जो एक रिश्ते को दीमक की तरह खत्म कर देती है।
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