उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) प्रारंभिक परीक्षा की रिवीजन ऐसे करें।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) हर साल प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) परीक्षा आयोजित करता है। यह परीक्षा प्रदेश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस वर्ष प्रारंभिक परीक्षा 21 दिसंबर को आयोजित होगी। हजारों छात्र कई महीनों की अथक मेहनत से इसकी तैयारी में लगे हैं। चूंकि इसमें एक महीना से भी कम समय रह गया है, इसलिए यह समय तैयारी को जांचने और रिवीजन का है। परीक्षा की बेहतर रणनीति और पुख्ता समय प्रबंधन से मुख्य परीक्षा के द्वार तक पहुंचा जा सकता है। यहां बताए जा रहे कुछ टिप्स आपको प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करने में मदद करेंगे।
आत्मविश्वास बनाए रखें
कई महीनों की जी-तोड़ मेहनत और अध्ययन के बावजूद अनेक अभ्यर्थी परीक्षा भवन में अपेक्षित आत्मविश्वास से नहीं जा पाते हैं। कई तरह की आशंकाएं, बेहतर रणनीति और समय प्रबंधन का अभाव तथा परीक्षा में असफल होने का अनजाना डर हावी रहता है। इसके चलते परीक्षा में अपना सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं। यदि कोई परीक्षार्थी इस तरह की किसी समस्या से जूझ रहा है तो किसी विशेषज्ञ का सलाह लेना बेहतर होता है। इससे उनकी समस्या का निराकरण हो सकता है।
एकाग्रता न टूटने दें
परीक्षा में सफल होने के लिए जरूरी है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से एकाग्र रहें। परीक्षा से कुछ दिन पहले अगर ध्यान भटका तो सालभर की मेहनत पर पानी फिर सकता है। इसलिए अनिवार्य है कि लगातार सकारात्मक बने रहें। किसी के साथ व्यर्थ के वाद-विवाद में न उलझें। इससे बेवजह का मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। जहां तक संभव हो परीक्षा से कुछ दिन पहले लंबी यात्रा करने से भी बचें। यह मानसिक रूप से थकाऊ साबित हो सकता है। हो सके तो हल्की शारीरिक कसरत करें। इससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी।
नियमित रिवीजन जरूरी
प्रारंभिक परीक्षा से एक महीने पहले का समय सालभर की गई तैयारी को जांचने का होता है। परीक्षा में सफलता इस बात ही निर्भर करती है कि आपने जो पढ़ाई की है, उसका रिवीजन कितनी बार किया है। कई अभ्यर्थी सालभर तैयारी में उलझे रहते हैं लेकिन परीक्षा के अंतिम लम्हों में रिवीजन करने का समय नहीं बचता है। रिवीजन के अभाव में परीक्षा के दौरान कई बातें दिमाग से निकल जाती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि जिन विषयों और घटनाओं को आपने पढ़ा है, उसका नियमित रिवीजन अवश्य करें।
समसामयिक मुद्दों पर नजर रखें
समसामयिक मुद्दों और घटनाओं पर लगातार पैनी नजर रखना जरूरी है। कुछ प्रश्न हाल की घटना और विषयों से पूछे जा सकते हैं। इसके लिए नियमित रूप से हिन्दी और अंग्रेजी के समाचार पत्रों को पढ़ें। इसके अलावा समाचार बुलेटिन अवश्य देखें। पिछले साल के प्रारंभिक प्रश्न पत्रों में भी समसामयिक मुद्दों से संबंधित प्रश्नों का अच्छा अनुपात रहता है, इसलिए ये जरूरी है कि समसामयिक मुद्दों की तैयारी करते रहना चाहिए। इसके लिए संबंधित किताबों का भी सहारा ले सकते हैं।
मॉक टेस्ट से बनेगी बात
मॉक टेस्ट भी परीक्षा में सफलता दिलाने में काफी मददगार साबित होते हैं। कई उम्मीदवार मॉक टेस्ट हल करने के लिए पाठ्यक्रम पूरा करने का इंतजार करते हैं, लेकिन ऐसा करना उचित नहीं होता। विशेषज्ञ कहते हैं कि जितना भी पाठ्यक्रम कवर हो गया हो, परीक्षार्थी को नियमित अंतराल पर उसका मॉक टेस्ट हल करते रहना चाहिए। परीक्षा के एक या दो महीने पहले इसकी गति बढ़ा देनी चाहिए। यह रिवीजन का सबसे उपयुक्त माध्यम है। मॉक टेस्ट से स्पीड और एक्योरिसी बढ़ने के साथ ही अपनी तैयारी का भी पता चलता है।
इन बातों का भी ध्यान रखें
● आंसर शीट मिलने के बाद उसमें दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। नियत स्थान पर अपना अनुक्रमांक, हस्ताक्षर तथा अन्य सूचनाएं अंकित करें।
● प्रश्नपत्र मिलने पर प्रश्नों को हल करने से पहले उसके महत्त्वपूर्ण निर्देशों को पढ़ें। संभव है कि उन निर्देशों में कोई महत्त्वपूर्ण और नई सूचना मिल जाए।
● संपूर्ण प्रश्नपत्र को एक बार सरसरी निगाह से देखने के बाद पुन: समय व्यवस्थित करें, जिससे प्रश्नपत्र पूरा करने में समय कम न पड़े।
● प्रश्न पत्र को पढ़ने में जल्दबाजी न करें, बल्कि शांति और धैर्य के साथ इसे दो-तीन बार पढ़ें और सुनिश्चित करें कि वास्तव में क्या पूछा जा रहा है।
● अपने उत्तर की समीक्षा करने और त्रुटियों को ठीक करने के लिए बाद में कुछ समय बचाकर रखें।
● निरीक्षक द्वारा दी जाने वाली अटेंडेंस शीट पर अपने हस्ताक्षर करें तथा अपने आंसर शीट पर निरीक्षक के हस्ताक्षर भी अवश्य करवाएं।
1. दो पेपर, दो रणनीति
परीक्षा भवन में दो घंटों के लिए हर परीक्षार्थी की अपनी रणनीति होती है लेकिन अधिकांश परीक्षार्थी अच्छी तैयारी के बावजूद अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि विषयों की तैयारी के साथ ही परीक्षा भवन के लिए भी पुख्ता रणनीति बनाई जाए। प्रारंभिक परीक्षा में दो पेपर हैं। इनके लिए अलग-अलग रणनीति पर काम करें।
पेपर-1 में 150 प्रश्नों को हल करने के लिए 120 मिनट मिलेंगे। यानी प्रत्येक प्रश्न के लिए 48 सेकेंड। इसी तरह पेपर-2 में 100 प्रश्न 120 मिनट में हल करने हैं। यहां प्रत्येक प्रश्न के लिए 72 सेकेंड मिलेंगे। समय प्रबंधन ऐसे सेट करें कि सभी सवाल कवर हो जाएं।
कई बार परीक्षार्थी जटिल प्रश्न में उलझ कर रहे जाते हैं। कठिन विकल्पों के कारण भी प्रश्नों को हल करने में ज्यादा समय लग जाता है। जिन प्रश्नों के उत्तर पता न हों या जिन पर उधेड़बुन हो, उन्हें निशान लगाकर छोड़ दें। अगर अंत में समय बचे तो उनका उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिए।
सर्वप्रथम वही प्रश्न हल करें जो ज्ञान की सीमा के दायरे में हों और जिनका तय समय में उत्तर दिया जा सके। परीक्षार्थी को इस मामले में यह सावधानी ज़रूर बरतनी चाहिए कि वह कम-से-कम इतने खंडों का चुनाव अवश्य कर लें, जिनसे अधिक-से-अधिक प्रश्न उसके दायरे में आ जाएं।
प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी प्रश्न का गलत उत्तर देने पर 0.33 अंक काट दिए जाते हैं। अगर परीक्षार्थी कोई प्रश्न बिना उत्तर दिए छोड़ देता है तो उस पर न तो अंक मिलते हैं, और न ही काटे जाते हैं। इस स्थिति में परीक्षार्थियों को यह कोशिश करनी चाहिए कि अनुमान या तुक्के के आधार पर किसी प्रश्न का उत्तर न दें।
● जनरल स्टडीज (जीएस) के दो प्रश्न पत्र होंगे, जिसमें सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के पूछे जाएंगे।
● दोनों प्रश्न पत्रों की परीक्षा एक ही दिन आयोजित होगी।
● पहला प्रश्न पत्र 200 अंकों का होगा, जिसमें 150 प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरा प्रश्न पत्र 200 अंकों का होगा, जिसमें 100 प्रश्न पूछे जाएंगे।
● मेरिट रैंकिंग में प्रश्न पत्र एक पर विचार किया जाएगा जबकि द्वितीय प्रश्न पत्र क्वालिफाइंग होगा।
● प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक की कटौती की जाएगी। दोनों प्रश्न पत्रों की परीक्षा की अवधि दो-दो घंटे की होगी।
● राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं
● भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
● भारतीय और विश्व भूगोल-भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल
● राजनीति और शासन-संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे आदि।
● आर्थिक और सामाजिक विकास-सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि।
● पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे।
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